शनिवार, 12 नवंबर 2011

अनिष्ट ग्रहों के निवारण हेतु कुछ उपाय-

सूर्य
सूर्य के लिए-
०१. ग्यारह या इक्कीस रविवार तक गणेश जी पर लाल फूलों चढ़ाएं |
०२. चांदी के बर्तन में जल पीयें, और चांदी के वर्क का सेवन करें |
०३. रविवार को नमक का सेवन करें |
०४. सूर्य की होरा{समय} में निर्जल {बिना पानी पीये} रहें |
०५. विष्णु भगवान का पूजन करें |
०६. "ॐ घ्रिणी सूर्याय नमः" इस मन्त्र का १०८ या ५१ या फिर २१ बार
       सुबह शाम जाप करें |
०७. सूर्य को ताम्बे के लोटे से "जल, चावल, लाल फूल, लाल सिंदूर" मिला
       कर अर्घ्य दें |

चन्द्र
 चन्द्र के लिए-
०१. दक्षिणावर्ती शंख का नित्य पूजन करें |
०२. ग्यारह सोमवार को दोपहर में केवल दही-भात ही खाएं |
०३. सूर्यास्त के बाद दूध न पियें | न ही पिलायें |
०४. तीन सफ़ेद फूल हर सोमवार और पूर्णिमा को नदी या बहती
       दरिया में विसर्जित करें |
०५. मोतियों की माला या चन्द्रकान्तमणि गले में धारण करें |
०६. पूर्णिमा की रात को चन्द्र दर्शन करें व चन्द्रमा को चावल एवं 
       दूध मिलाकर चांदी के बर्तन से अर्घ्य दें |
०७. सोमवती अमावस्या को ५ सुहागन स्त्रियों को खीर का भोजन कराएँ व दक्षिणा दें |

मंगल
 मंगल के लिए-
०१. मंगलवार को रेवड़ियाँ पानी में प्रवाहित करें | 
०२. आटे के पेड़े में गुड व चीनी मिलाकर गाय को खिलाएं |
०३. ताम्बे के बर्तन से जल पियें |
०४. लाल पुष्पों को जल में प्रवाहित करें, मंगलवार को हनुमान जी के 
       मंदिर जा के हनुमान जी के चरणों से सिंदूर अपने मस्तक से
       लगायें |
०५. नित्य सुबह शाम हनुमान चालीसा व बजरंग बाण का पाठ करें |
०६. दूध का उबाल चूल्हे पर न गिरने दें |

बुध के लिए-

बुध
 ०१. एक हरी इलाईची प्रतेक बुधवार को जल में प्रवाहित करें |
०२. बुधवार को इलाईची व तुलसी के पत्ते सेवन करें |
०३. हरे सीता फल के अन्दर ताम्बे के पैसे डालकर नदी में प्रवाहित
      करें |
०५. संकटनाशन गणपति स्तोत्र का पाठ नित्य करें |
०६. बुधवार के दिन ५ बालक व बालिकाओं को भोजन कराएँ |
०७. बुधवार को गाय को हरी घास खिलाएं |
०८. दुर्गासप्तशती का पाठ करवाएं | यदि संभव हो तो स्वयं करें |

गुरु के लिए-

गुरु
 ०१. नौ या बारह चमेली के फूल नदी में गुरुवार को प्रवाहित करें |
०२. पीले कनेर के फूल विष्णु भगवान को पर्तेक गुरुवार को अर्पण
      करें |
०३. दत्तात्रेय वज्र कवच का पाठ प्रतिदिन करें व भगवान विष्णु का
      पूजन करें |
०५. गुरुवार को नमक का सेवन न करें, चने से बनी हुई वस्तुओं का
      सेवन करें |
०६. केला कभी न खाएं एवं गुरुवार को पीपल के पेड़ व केले के पेड़
      को हल्दी मिलाकर जल चढ़ाएं |
०७. विष्णुसहस्रनाम के १०८ पाठ करें या किसी योग्य ब्राह्मण से
       करवाएं |

शुक्र के लिए-  
०१. सफ़ेद गुलाब के फूल शुक्रवार को नदी या कुएं में डालें |
०२. प्रतेक शुक्रवार को तिल जौ व देशी घी मिलाकर हवं करें |
०३. चांदी के गहने पहनें व गले में हाथी का दांत पहने |
०४. लक्ष्मी या दुर्गा का पूजन करें |
०५. सफ़ेद गाय को शुक्र वार को रोटी खिलाएं |
०६. शुक्र वार को लाल ज्वार व दही किसी धार्मिक स्थान पर दान करें |
०७. सफ़ेद कांच के बर्तन में चांदी डालकर धूप में रखें व बाद में उसे पी लें |
०८.सफ़ेद रेशमी वस्त्र दान करें |
०९. चांदी घोड़े का रोज पूजन करें |

शनि के लिए-
 ०१.शनिवार को सफेदे का पत्ता अपनी जेब में रखें |                                          
 ०२. नारियल के तेल में कपूर मिला के सिर पे लगायें |
 ०३. काले उड़द जल में प्रवाहित करें |
 ०४. ताम्बे या लोहे के पात्र से ही जल पियें |
 ०५. शनिवार को तेल से चुपड़ी रोटी काले कुत्ते को खिलाएं |
 ०६. काले घोड़े की नाल या नाव की कील की अंगूठी बनवाकर मध्यमा ऊँगली
       में शनिवार को पहनें |
 ०७. शनिवार को लोहे के बर्तन में सरसों का तेल व ताम्बे का सिक्का डालकर अपना चेहरा देख कर             
        शनि मंदिर में चढ़ें या मांगने वाले को दें |
 ०८. शनिवार को सरसों का तेल, मांस, अंडा, शराब का शेवन न करें |
 ०९. शनिवार को तेल या शराब बहते पानी में प्रवाहित करें |
 १०. चिड़ियों को बाजरा डालें व पीपल पर जल चढ़ाएं |

राहू के लिए-
०१. शिव जी को बेलपत्र चढ़ाएं व प्रतिदिन शिव मंदिर जाएं |
०२. लोहे के पात्र में रखा जल ही पिएँ  |
०३. नारियल में छेद करके उसके अन्दर ताम्बे का पैसा नदी में बहा दें |
०४. चांदी की अंगूठी बीच वाली ऊँगली में पहनें |
०५. सोमवार को मूली दान करें |
  ०६. ४१ दिन तक १ रूपया प्रतिदिन भंगी को दें |

केतु के लिए-
०१. किसी ज्योतिर्लिंग पे नाग चढ़ाएं |

०२. लोहे के पात्र में रखा जल ही पिएँ |

०३. गुरु पूर्णिमा, गुरु द्वादशी, गुरु पंचमी, गुरु प्रतिपदा, नाग पंचमी, को 
      रुद्राभिषेक करवाएं |

०४. कुतों को रोटी खिलाएं व गरीब और अपाहिज को भोजन करवाएं |

०५. गुड के साथ चांवल बनाकर कोढियों को खिलाएं |

०६. कीड़ों के बिल में तिल डालें |

०७. बेल के अन्दर ताम्बे का पैसा डालकर नदी में बहाएँ  |

 ०८.चांदी की अंगूठी बीच वाली ऊँगली में पहनें |
                                                                                                          "सधन्यवाद"
                                                                                                   आचार्य कमल डिमरी 
                                                                                                  फलित ज्योतिषाचार्य  
                                                                        श्री दर्शन महाविद्यालय / गायत्री ज्योतिष केंद्र १४ बीघा
                                                                                            मुनि की रेती ऋषिकेश {टि. ग.}

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