यद्यपि वर्तमान समय में शकुन शास्त्र का बहुविध प्रचलन है की और शकुन शास्त्र विषयक बहुतायत ग्रन्थ बाजार में उपलब्ध है किन्तु फिर भी हम एक लघु प्रयास कर रहे है और सुभासुभ सकुनों के बारे में बता रहे है :-
शकुन अर्थात हमारे सामने होने वाले सुभासुभ घटनाएं | शकुन शास्त्र का बहुत प्राचीन समय से प्रचलन है और इसका प्रचलन भारत में ही नहीं वरन विदेशों में भी हमेसा प्रयोग में रहा शेक्सपियर के सब्दों में :- "जब भिखारी मरते हैं तो कोई धूम केतु नहीं दिखाई देते किन्तु किन्तु जब कोई राजकुमार मरता है तो सारा ब्रह्माण्ड प्रज्वलित हो जाता है |
शकुन मुख्य रूप से पांच प्रकार के होते है :-
०१- भौम :-
ये पृथिवी से सम्बंधित होते हैं जैसे की भूकंप, ज्वालामुखी, तूफ़ान, झंझावत, अकाल, बाढ़ आदि |
०२- अंतरिक्ष :-
ये आकाश से सम्बंधित होते हैं जैसे की ग्रहण, उल्कापात, ग्रहों का उदयास्त, ग्रह युद्ध, ग्रह
युति आदि |
०३- स्वप्निक :-
स्वप्न में द्रिस्तिगोचार होने वाले सुभाशुभ के आधार पर भावी घटनाओं का उदघाटन होना आदि |
०४- शारीरिक :-
ये शरीर में निर्मित चिन्हों के आधार पर जैसे की हाथ पैरों में निर्मित तिलादी, शरीर के स्पर्श से सूचित संकेतों के आधार पर सुभाशुभ फल कथन | प्राचीन काल में इसे सामुद्रिक शास्त्र के नाम से जाना जाता था |
०५- विभिन्न शकुन :-
वे शकुन जो उपरोक्त चार श्रेणियों में नहीं आते उन्हें स्थूलतः विभिन्न शकुनों की श्रेणी में रखा जाता है | यथा "कोई भी व्यक्ति किसी नष्ट वास्तु के विषय में प्रश्न करने आया हो और आप कुछ ढूंढ रहे हों और वह मिल जाए तो कह दीजिये की आपकी नष्ट वास्तु शीघ्र प्राप्त हो जायेगी" इस प्रकार के शकुन उपरोक्त चार श्रेणी के शकुनों में नहीं आते किन्तु फल दाई सिद्ध होते हैं |
सामान्य रूप से शुभाशुभ शकुन :-
सामान्य सुभ शकुन :-
बन्दर, घोडा, भालू, हाथी आदि का नजर आना व उनकी आवाजों का सुनाई देना | पके हुए चावल (भात), दूध, दलिया, मादक पेय, विषम संख्या के पशु, प्रसिद्ध व्यक्ति, ब्राहमण, अमूल्य रत्न, मधु, घी, इत्र, हल्की वायु, आँखों को प्रीतिकर लगने वाली सभी वस्तुएं | भोजन से पहले, वस्त्र पहनने से पहले, सोने से पहले, शिक्षा ग्रहण करने से पहले, फसलों की बुवाई करने से पहले छींक आना सुभ है |
बांसुरी, शंख, गायों की आवाजें, प्रश्न करता बिना किसी गतिविधि के शांत हो और उसके मुख पर प्रशन्नता का भाव हो, मधुर व सुखद आवाजें सुनाई दे रही हों, प्रश्न करता द्वारा स्वच्छ व सुन्दर हलके रंग का वस्त्र पहना हो, बांयी ओर बिल्ली का दिखायी देना अपने मुहँ में गाय कुछ खाध्य सामग्री लिए हुए जुगाली कर रही हो, सूअर यदि पूरी तरह से कीचड से सना हुआ दिखे, प्रश्नकर्ता सुभ वस्तुओं जैसे की दर्पण, स्वर्ण, भ्रिन्गपत्र, पुष्पों, आदि का स्पर्श तो सुभ होता है |
सामान्य असुभ शकुन :-
सर्प, उल्लू, छिपकली, गधा, बिल्ली का नजर आना व उनकी आवाजें सुनाई देना या किसी अन्य कर्कश आवाजों का सुनाई देना, गोबर, मलमूत्र, नमक, मिर्च, राख (भस्म), कोयला, काला चना, हिंजड़े, सरसों, झंझावत, प्रकाश या तेल होते हुए भी बत्ती या दीपक का बुझ जाना, कोई बर्तन गिरना या टूटना, दरवाजे की अचानक आवाज करना, आँखों को अप्रीतिकर लगने वाली सभी वस्तुएं | किसी कार्य के प्रारम्भ से पूर्व ही छींक आना, कौओं, गधों भैंसों की आवाजें सुनाई देना प्रश्नकर्ता की बेचैनी व उटपटांग हरकतें करना, हाथ पैरों का हिलाना, प्रश्न करता ने गन्दा-मैला-फटा-लाल या छपाईदार वस्त्र पहना हो, बिल्ली का पैरों का सूंघना, बिल्ली का किसी सोये हुए व्यक्ति के ऊपर से उछल कर जाना, कुत्ते का मुह में हड्डी पकडे हुए दिखाई देना, प्रश्नकर्ता असुभ वस्तुओं जैसे की राख चाक, चाक़ू, तलवार, रस्सी, आदि का स्पर्श करे दो असुभ होता है |
विशेष प्रश्नों के समय सुभाशुभ शकुन :-
०१:- रोगी के सम्बन्धी प्रश्नों के समय :-
सुभ शकुन :-
एक जीवत प्राणी, मानव या पूर्वोक्त सुभ पशु दिखाई दे, कफादी की बीमारियों के आलावा अन्य बीमारियों में दवा लेने से बिकुल पूर्व छींक आना |
असुभ शकुन :-
डाह संस्कार में प्रयुक्त होने वाली वस्तुएं जैसे सफ़ेद पुष्प, दही, नए वस्त्र, पात्र का गिर के टूट जाना, सूर्यास्त के समय आकाश का अचानक लाल या अँधेरा दिखाई देना आदि |
०२:- विवाह के प्रश्नों में :-
सुभ शकुन :-
कोई व्यक्ति वस्तुओं जोड़ा लाता दिखाई दे, अचानक दो व्यक्ति (प्रश्न कर्ताओं के अतिरिक्त) आते हुए दिखाई दें, प्रश्नकर्ता सर या छाती का स्पर्श करे या अपने दोनों हाथों को संयुक्त करे, यदि प्रश्न के समय एक पुरुष दो स्त्रियों के साथ या एक स्त्री दो पुरुषों के साथ दिखे तो पुनर्विवाह होता है ।
शकुन अर्थात हमारे सामने होने वाले सुभासुभ घटनाएं | शकुन शास्त्र का बहुत प्राचीन समय से प्रचलन है और इसका प्रचलन भारत में ही नहीं वरन विदेशों में भी हमेसा प्रयोग में रहा शेक्सपियर के सब्दों में :- "जब भिखारी मरते हैं तो कोई धूम केतु नहीं दिखाई देते किन्तु किन्तु जब कोई राजकुमार मरता है तो सारा ब्रह्माण्ड प्रज्वलित हो जाता है |
शकुन मुख्य रूप से पांच प्रकार के होते है :-
०१- भौम :-
ये पृथिवी से सम्बंधित होते हैं जैसे की भूकंप, ज्वालामुखी, तूफ़ान, झंझावत, अकाल, बाढ़ आदि |
०२- अंतरिक्ष :-
ये आकाश से सम्बंधित होते हैं जैसे की ग्रहण, उल्कापात, ग्रहों का उदयास्त, ग्रह युद्ध, ग्रह
युति आदि |
०३- स्वप्निक :-
स्वप्न में द्रिस्तिगोचार होने वाले सुभाशुभ के आधार पर भावी घटनाओं का उदघाटन होना आदि |
०४- शारीरिक :-
ये शरीर में निर्मित चिन्हों के आधार पर जैसे की हाथ पैरों में निर्मित तिलादी, शरीर के स्पर्श से सूचित संकेतों के आधार पर सुभाशुभ फल कथन | प्राचीन काल में इसे सामुद्रिक शास्त्र के नाम से जाना जाता था |
०५- विभिन्न शकुन :-
वे शकुन जो उपरोक्त चार श्रेणियों में नहीं आते उन्हें स्थूलतः विभिन्न शकुनों की श्रेणी में रखा जाता है | यथा "कोई भी व्यक्ति किसी नष्ट वास्तु के विषय में प्रश्न करने आया हो और आप कुछ ढूंढ रहे हों और वह मिल जाए तो कह दीजिये की आपकी नष्ट वास्तु शीघ्र प्राप्त हो जायेगी" इस प्रकार के शकुन उपरोक्त चार श्रेणी के शकुनों में नहीं आते किन्तु फल दाई सिद्ध होते हैं |
सामान्य रूप से शुभाशुभ शकुन :-
सामान्य सुभ शकुन :-
बन्दर, घोडा, भालू, हाथी आदि का नजर आना व उनकी आवाजों का सुनाई देना | पके हुए चावल (भात), दूध, दलिया, मादक पेय, विषम संख्या के पशु, प्रसिद्ध व्यक्ति, ब्राहमण, अमूल्य रत्न, मधु, घी, इत्र, हल्की वायु, आँखों को प्रीतिकर लगने वाली सभी वस्तुएं | भोजन से पहले, वस्त्र पहनने से पहले, सोने से पहले, शिक्षा ग्रहण करने से पहले, फसलों की बुवाई करने से पहले छींक आना सुभ है |
बांसुरी, शंख, गायों की आवाजें, प्रश्न करता बिना किसी गतिविधि के शांत हो और उसके मुख पर प्रशन्नता का भाव हो, मधुर व सुखद आवाजें सुनाई दे रही हों, प्रश्न करता द्वारा स्वच्छ व सुन्दर हलके रंग का वस्त्र पहना हो, बांयी ओर बिल्ली का दिखायी देना अपने मुहँ में गाय कुछ खाध्य सामग्री लिए हुए जुगाली कर रही हो, सूअर यदि पूरी तरह से कीचड से सना हुआ दिखे, प्रश्नकर्ता सुभ वस्तुओं जैसे की दर्पण, स्वर्ण, भ्रिन्गपत्र, पुष्पों, आदि का स्पर्श तो सुभ होता है |
सामान्य असुभ शकुन :-
सर्प, उल्लू, छिपकली, गधा, बिल्ली का नजर आना व उनकी आवाजें सुनाई देना या किसी अन्य कर्कश आवाजों का सुनाई देना, गोबर, मलमूत्र, नमक, मिर्च, राख (भस्म), कोयला, काला चना, हिंजड़े, सरसों, झंझावत, प्रकाश या तेल होते हुए भी बत्ती या दीपक का बुझ जाना, कोई बर्तन गिरना या टूटना, दरवाजे की अचानक आवाज करना, आँखों को अप्रीतिकर लगने वाली सभी वस्तुएं | किसी कार्य के प्रारम्भ से पूर्व ही छींक आना, कौओं, गधों भैंसों की आवाजें सुनाई देना प्रश्नकर्ता की बेचैनी व उटपटांग हरकतें करना, हाथ पैरों का हिलाना, प्रश्न करता ने गन्दा-मैला-फटा-लाल या छपाईदार वस्त्र पहना हो, बिल्ली का पैरों का सूंघना, बिल्ली का किसी सोये हुए व्यक्ति के ऊपर से उछल कर जाना, कुत्ते का मुह में हड्डी पकडे हुए दिखाई देना, प्रश्नकर्ता असुभ वस्तुओं जैसे की राख चाक, चाक़ू, तलवार, रस्सी, आदि का स्पर्श करे दो असुभ होता है |
विशेष प्रश्नों के समय सुभाशुभ शकुन :-
०१:- रोगी के सम्बन्धी प्रश्नों के समय :-
सुभ शकुन :-
एक जीवत प्राणी, मानव या पूर्वोक्त सुभ पशु दिखाई दे, कफादी की बीमारियों के आलावा अन्य बीमारियों में दवा लेने से बिकुल पूर्व छींक आना |
असुभ शकुन :-
डाह संस्कार में प्रयुक्त होने वाली वस्तुएं जैसे सफ़ेद पुष्प, दही, नए वस्त्र, पात्र का गिर के टूट जाना, सूर्यास्त के समय आकाश का अचानक लाल या अँधेरा दिखाई देना आदि |
०२:- विवाह के प्रश्नों में :-
सुभ शकुन :-
कोई व्यक्ति वस्तुओं जोड़ा लाता दिखाई दे, अचानक दो व्यक्ति (प्रश्न कर्ताओं के अतिरिक्त) आते हुए दिखाई दें, प्रश्नकर्ता सर या छाती का स्पर्श करे या अपने दोनों हाथों को संयुक्त करे, यदि प्रश्न के समय एक पुरुष दो स्त्रियों के साथ या एक स्त्री दो पुरुषों के साथ दिखे तो पुनर्विवाह होता है ।
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